पुलिसिया लूट से मोदी जी की छवि पर हो रहा प्रहार, मोदी जी, क्या पुलिस की लूट आपकी भाजपा सरकार में भी जारी रहेगी?

इसका जवाब अब प्रधानमंत्री मोदी जी को देना होगा।

BMH
Dr. Sushma Sood, Lead Gynaecologist
Dr. Sushma women care hospital, LOHNA PALAMPUR
Dr. Swati Katoch Sood, & Dr. Anubhav Sood, Gems of Dental Radiance
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RAJESH SURYAVANSHI, Editor-in-Chief, HR Media Group, Founder Chairman Mission Against Corruption Society, H.P. Mob 9418130904

क्या प्रधानमंत्री मोदी जी की सरकार में भी दिल्ली पुलिस की लूट यूं ही जारी रहेगी?

दिल्ली की सत्ता बदल गई, लेकिन दिल्ली पुलिस के व्यवहार और भ्रष्टाचार में कोई अंतर नहीं आया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार के रहते भी यदि आम नागरिकों को प्रीपेड टैक्सी बूथ पर अपमान, धोखाधड़ी और अवैध वसूली झेलनी पड़े, तो सवाल सरकार की इच्छाशक्ति और व्यवस्था की नीयत पर उठना स्वाभाविक है।

13 फरवरी 2025, वरिष्ठ पत्रकार श्री एन.एस. पठानिया असम से हिमाचल लौटते समय दिल्ली के आनंद विहार टर्मिनल (ANVT) पर पहुंचे। एक वरिष्ठ नागरिक होने के बावजूद उन्हें न तो सम्मान मिला और न सुविधा। प्रीपेड टैक्सी के लिए जब उन्होंने ऑनलाइन पेमेंट की बात की, तो वहां मौजूद पुलिसकर्मी ने बेहिचक जवाब दिया –

“मोदी से जाकर पूछो कि ऑनलाइन पेमेंट क्यों नहीं है।”

क्या यह प्रधानमंत्री मोदी जी की छवि पर सीधा प्रहार नहीं है? क्या एक पुलिसकर्मी को इतना अधिकार है कि वह इस तरह किसी नागरिक को जवाब दे और सरकारी व्यवस्था का मज़ाक उड़ाए?

₹200 की रसीद काटी गई, लेकिन ₹40 चार बैगों के लिए नकद मांगे गए। ड्राइवर ने बाद में बताया कि ₹35 पुलिसकर्मी पहले ही ले चुके थे, और ₹10 ‘सर्विस चार्ज’ के नाम पर अलग वसूले गए। यह सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि एक संगठित प्रणाली का हिस्सा है।

आंकड़े खुद बोलते हैं:

हर दिन 1200–1500 टैक्सी रसीदें सिर्फ एक काउंटर से

यदि ₹25 प्रति रसीद की अवैध वसूली हो रही हो तो –

₹30,000 प्रतिदिन, ₹9 लाख प्रति माह, ₹1.08 करोड़ सालाना

अगर ₹40 तक वसूली हो रही है तो सालाना आंकड़ा ₹1.45 करोड़ को पार करता है।।

यह सिर्फ एक काउंटर की बात है, पूरे शहर की नहीं!

टैक्सी चालकों ने बताया कि इस पैसे का हिस्सा ऊपर तक जाता है, और यहाँ ड्यूटी लगाने के लिए मोटी रिश्वत देनी पड़ती है। हर 3-6 महीने में पुलिसवाले बदल दिए जाते हैं ताकि “सिस्टम” चलता रहे।

तो अब प्रश्न है –

क्या प्रधानमंत्री मोदी जी की सरकार दिल्ली पुलिस के इस खुले भ्रष्टाचार का संज्ञान लेगी?

क्या ‘सबका साथ, सबका विकास’ और ‘भ्रष्टाचार मुक्त भारत’ सिर्फ नारा ही रह जाएगा?

क्या दिल्ली की जागरूक जनता यह अन्याय देखकर भी चुप रहेगी?

या फिर एक बाहरी राज्य से आए पत्रकार की आवाज ही इस व्यवस्था की असली तस्वीर उजागर करती रहेगी?

अगर अब भी आंखें नहीं खुलतीं, तो फिर ये समझ लेना चाहिए कि हमारी चुप्पी ही इस भ्रष्ट तंत्र की सबसे बड़ी ताकत है — और इसका जवाब अब प्रधानमंत्री मोदी जी को देना होगा।

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