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45 यात्रियों की जान बचाने वाले बने डीसी हेमराज बैरवा, नॉर्दर्न ट्रैवल्स की घोर लापरवाही उजागर
कांगड़ा/रक्कड़ (हिमाचल प्रदेश)

“8 जून की वह भयंकर काली रात शायद हम कभी भुला नहीं पाएंगे और हिमाचल पुलिस मुर्दाबाद के जो नारे लगे वे भी सदा याद आएंगे”![]()
जोगिंदरनगर, बीड़ से दिल्ली जा रही Northern Travels की वोल्वो बस (HR38X0066) के एक नशेड़ी ड्राइवर ने 45 यात्रियों को मौत के मुंह में धकेल दिया होता, यदि कांगड़ा के डिप्टी कमिश्नर श्री हेमराज बैरवा ने समय रहते हस्तक्षेप न किया होता। हालात की नजाकत वही लोग जानते हैं जो समय इस बस में सफर कर रहे थे।
यह बस शाम 7 बजे बीड़ से रवाना हुई, पर न उसमें कोई कंडक्टर था, न संचार व्यवस्था, न ही GPS चालू था। ड्राइवर नशे में था, और उसे रूट की जानकारी तक नहीं थी। वह बार-बार यात्रियों से रास्ता पूछता रहा। पलामपुर, मरांडा जैसे स्टॉप्स पर वह डेढ़ घंटे देरी से पहुंचा, किसी को कोई सूचना नहीं दी गई।
बस जब घने जंगलों और खेतों के रास्तों से होते हुए रक्कड़ पहुंची, तो चढ़ाई पर बस बंद हो गई। 45 सवारियों में महिलाएं, बच्चे, वरिष्ठ नागरिक और नौकरीपेशा लोग शामिल थे, जिनमें से कई को अगली सुबह दिल्ली में ट्रेन या फ्लाइट पकड़नी थी। सभी बुरी तरह फंस चुके थे।
यात्रियों में शामिल हिमाचल रिपोर्टर के संपादक राजेश सूर्यवंशी ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तुरंत एसपी शालिनी अग्निहोत्री और डिप्टी कमिश्नर श्री हेमराज बैरवा से संपर्क किया। जहां पुलिस स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, वहीं डीसी बैरवा ने रात होते ही तुरंत सक्रियता दिखाई और प्रशासन को अलर्ट कर दिया।
श्री बैरवा ने न सिर्फ पुलिस को हरकत में लाया, बल्कि नशेड़ी ड्राइवर को मेडिकल जांच के लिए भेजने की व्यवस्था की, वैकल्पिक बस भेजी और प्रशासनिक मशीनरी को यात्रियों की सहायता के लिए तत्पर किया। यदि वे तत्काल कार्रवाई न करते, तो यह हादसा किसी भी बड़े त्रासदी में बदल सकता था।
दूसरी ओर, Northern Travels के मालिकों ने लगभग डेढ़ करोड़ की बस को बिना किसी जिम्मेदारी के एक नशे में धुत ड्राइवर को सौंप दिया। कोई कंडक्टर नहीं, कोई यात्री सूचना नहीं, कोई ट्रैकिंग नहीं — यह लापरवाही नहीं, आपराधिक कृत्य है। यात्रियों की जान को चंद सिक्कों के लिए गिरवी रख दिया गया।
इस सबके बावजूद जब पुलिस पहुंची तो उन्होंने ड्राइवर के पक्ष में बात करते हुए यात्रियों को और निराश किया। जब जनता ने विरोध किया, तब जाकर ड्राइवर पर मात्र ₹15,000 का जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया, जिससे पुलिस और प्राइवेट ट्रैवल्स कंपनियों की मिलीभगत सामने आई। पुलिस का आईओ का रहा था कि तुम्हें किसने बोला था प्राइवेट बसों में सफर करने के लिए अब आप ही जानो। हम उनके खिलाफ कुछ नहीं कर सकते और ना ही आपकी कोई मदद कर सकते हैं।
इस संकट में केवल एक ही प्रशासनिक चेहरा था जिसने जनता की जान बचाने के लिए आधी रात को हस्तक्षेप किया — डिप्टी कमिश्नर कांगड़ा श्री हेमराज बैरवा। सभी यात्रियों ने उन्हें धन्यवाद देते हुए कहा कि यदि बैरवा जी जैसे अफसर हर जिले में हों, तो आम जनता सुरक्षित महसूस कर सकती है।



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