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कविता

तमाम रात जलता रहा चुल्लाह झोंपड़ी में, गरीब पास आटा नहीं था रोटी पकाने को।

कर्नल जसवन्त सिंह चन्देल कलोल बिलासपुर हिमाचल Mob..94184 25568 तमाम रात जलता रहा चुल्लाह झोंपड़ी में, गरीब पास आटा नहीं था रोटी पकाने को। खामोशी छाई रही तमाम रात झोंपड़ी में। हवेली से आती रही आवाज चिल्लाने की। कम सहुलियतें होती है…
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उठो मुर्दो, नामर्दो! कुछ तो शर्म करो…अब तो जागो…कब तक चुपचाप देखते रहोगे..मुझे दुःख है…

नमन मंच विधा : कविता विषय : मैं मुर्दों के शहर में रहती हूॅं ********(((***((((******* यह बात कोई मिथ्या न माने, मैं सबकुछ सच-सच कहती हूॅं। ज़िंदा हूॅं, शर्मिंदा हूॅं कि मैं मुर्दों के शहर में रहती हूॅं। लाज लूट ले कोई वहशी, देख…
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नेताजी बोले “शहादत जैसे होते रहते हैं हादसे”… कर्नल जसवन्त सिंह चंदेल

वहां किसी की बैठी एक मां थी, किसी की बैठी थी वहां धर्मपत्नी, और किसी ने बस पकड़ रखी थी, सिसकती हुई प्यारी बहन अपनी । खूब वहां तामझाम वहां सरकारी, अगली पंक्ति बैठी सरकार हमारी, एक पकड़े आ रहा खूंटा अपना, जिसने खोया शायद बेटा अपना।…
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*मेरी पोती आई थी जब तब लाई फूलों के गुच्छे* by Col. Jaswant Singh Chandel

पोती के लिए *********** आई थी जब तब लाई फूलों के गुच्छे, बहारें भी साथ लाई थीं फूलों के गुच्छे, कली बन कर तू आई खुशियां तू लाई , तुझे देख कर खुशी से आंखें भर आई। दिन तो बहुत देखे मगर आज का दिन, आज का दिन न्यारा है प्यारा यह दिन,…
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बरबाद करी दिते इन्हे बदमासें ये नयाणे, by Col. Jaswant Singh Chandel

दौलतां रे फुके ये गठड़े इनांरे सिरा पाणे, बरबाद करी दिते इन्हे बदमासें ये नयाणे, तयाड़ी जे पड़कणी इनां रे क्हरां च अंग, तां सारयां ई तड़फना बच्चयां खातर लग। माऊरा क्या बणगां बच्चयां ओणा बर्बाद, किंयां चलणा संसार किंयां…
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कर्नल साहिब की *ज़िद्द* “बुजुर्ग” और “ज़िद्द”

Col. Jaswant S. Chandel बुजुर्ग ******** गांव के बुजुर्ग कुछ हद तंदरुस्त देखे, खाते- पीते चलते -फिरते दुरुस्त देखे, हां हवेली की सीढ़ियां चढ़ते थके देखे, शाम क्या पड़ी अंधेरा होते सुस्त देखे। मगर कहीं गांव में घूमते सियार…
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बिना गुनाह ये खंजर घोंपते देख रखे हैं मैंने..कर्नल जसवन्त सिंह चन्देल

हाव -भाव *********** लोगों के कई हाव -भाव देख रखे हैं मैंने, करतब इनके बड़े चाव से देख रखे हैं मैंने, मेरे सामने मेरे ही कसीदे बुनते हैं ये लोग, इन्हें दूसरों के घाव कुदेरते देख रखे हैं मैंने। बिना गुनाह ये खंजर घोंपते देख रखे हैं…
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कई अमीरों को अपनी ज़मीर बदलते देखा है : Col. Jaswant Singh Chandel

जीवन के हर पहलू और वक्त को देखा है, गुलामी से आजादी तक के फ़र्क को देखा है, बहुत सारे गरीबों को अमीर बनते देखा है, कई अमीरों को अपनी ज़मीर बदलते देखा है। सैनिक हूं मैंने मौत को करीब आते देखा है, डर के हैवान को गरीब बन के जाते…
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वो ढलता पिछला जमाना जाते देख रखा है मैंने,….कर्नल जसवन्त सिंह चन्देल

दातों की जटिल से जटिल समस्याओं का दर्द रहित उपचार केवल पालमपुर में विश्व स्तरीय अत्याधुनिक उपकरणों द्वारा तड़प..... ढलता पिछला जमाना जाते देख रखा है मैंने, बाप कोअंगोछा पहनें कमाते देख रखा है मैंने , मां को कहां रहती थी दिन-रात…
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देशभक्त सन्यासी विवेकानंद…महान कवयित्री कमलेश सूद द्वारा स्वरचित मौलिक रचना

माननीय मंच को नमन। दिनांक : १२.१.२०२३ विषय ‌‌:देशभक्त संन्यासी विवेकानंद शैली:कविता देशभक्त संन्यासी था वह स्वतंत्रता का अभिलाषी था आशाएं थीं केंद्रित उसकी नवयुवकों की नवपीढ़ी पर वीर्यवान, तेजस्वी, ओजस्वी और…
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