देहरा में सियासी विस्फोट, विधायक कमलेश ठाकुर की साख पर संकट, अधिकारी ताकतवर: कांग्रेस को भीतर से खोखला कर रही ‘प्रशासनिक गिरोहबाज़ी’, मुख्यमंत्री सुक्खू के गढ़ में लग गई सेंध: शिमला से एक आईएएस अधिकारी के इशारे पर चल रहा राजनीतिक खेल
मुख्यमंत्री सुक्खू के गढ़ में लग गई सेंध हिला देने वाला खुलासा: देहरा में कमलेश ठाकुर की साख को बड़ा झटका, प्रशासन भाजपा के इशारों पर सत्ताधारी दल के गढ़ में ही सियासी साजिश! देहरा में भाजपा का गुप्त खेल उजागर Breaking: शिमला से चल रही देहरा की सत्ता! मुख्यमंत्री सुक्खू को अंधेरे में रख भाजपा ने की घेराबंदी
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विधायक बेबस, अधिकारी ताकतवर: देहरा में कांग्रेस को भीतर से खोखला कर रही ‘प्रशासनिक गिरोहबाज़ी’
सियासी विस्फोट: देहरा में दबाव में काम कर रहा प्रशासन — कांग्रेस कार्यकर्ता नाराज़
EDITORIAL
RAJESH SURYAVANSHI, Editor-In-Chief, HR Media Group
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की धर्मपत्नी एवं देहरा से कांग्रेस विधायक मैडम कमलेश ठाकुर इन दिनों एक कठिन राजनीतिक चुनौती का सामना कर रही हैं। देहरा विधानसभा क्षेत्र, जिसे सत्ताधारी कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाता है, वहां अब भाजपा की परोक्ष सत्ता मजबूत होती जा रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह शिमला में तैनात एक प्रभावशाली आईएएस अधिकारी को बताया जा रहा है, जो भाजपा से जुड़ा हुआ है और देहरा में प्रशासनिक फैसलों को अपने इशारों पर संचालित कर रहा है।
‘India Reporter Today’ की टीम द्वारा किए गए ज़मीनी सर्वेक्षण में यह तथ्य उजागर हुए हैं कि देहरा में अधिकांश सरकारी विभागों में भाजपा के प्रभावशाली कार्यकर्ताओं और ठेकेदारों की गहरी पैठ बन चुकी है। क्षेत्र में जो भी सरकारी कार्य हो रहे हैं, वे लगभग सभी भाजपा समर्थकों से जुड़े लोगों के ही हो रहे हैं, जबकि कांग्रेस कार्यकर्ताओं और उनके सिफारिशों की खुलकर अनदेखी की जा रही है। इससे कांग्रेस का ज़मीनी कार्यकर्ता खुद को उपेक्षित और ठगा हुआ महसूस कर रहा है।
वहीं, विधायक मैडम कमलेश ठाकुर जनता के बीच लगातार मेहनत कर रही हैं। उन्होंने सड़क, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए हैं। मगर प्रशासनिक तंत्र पर पकड़ कमजोर होने के कारण उनके कार्यों को वैसी मान्यता और गति नहीं मिल पा रही है, जैसी मिलनी चाहिए। उनके अपने करीबी कुछ लोग भी उन्हें ज़मीनी सच्चाई से दूर रख रहे हैं और हकीकत नहीं बता रहे, जिससे भीतरघात की स्थिति पैदा हो रही है।
यह भी चौंकाने वाली बात है कि मुख्यमंत्री को इस साजिश की जानकारी कई बार दी जा चुकी है। पुख्ता सबूत भी सौंपे गए हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भारी रोष व्याप्त है। लोग पूछ रहे हैं कि जब मुख्यमंत्री का ही क्षेत्र सुरक्षित नहीं है, तो बाकी प्रदेश की स्थिति क्या होगी?
भाजपा इस राजनीतिक असंतुलन का फायदा उठाकर देहरा में अपनी स्थिति मजबूत कर रही है। उनकी रणनीति साफ है — प्रशासनिक तंत्र को अपने पक्ष में रखकर अगले विधानसभा चुनावों में देहरा सीट को जीतना। और जब तक कांग्रेस इस अंदरूनी खेल को नहीं समझती, तब तक मैडम कमलेश ठाकुर जैसी जमीनी नेता के प्रयास भी व्यर्थ साबित हो सकते हैं।
इस पूरे घटनाक्रम ने न केवल देहरा में कांग्रेस की स्थिति को कमजोर किया है, बल्कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की राजनीतिक पकड़ और निर्णय लेने की क्षमता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। अब समय आ गया है कि मुख्यमंत्री इस गंभीर प्रशासनिक हस्तक्षेप को रोकें, वरना पार्टी को इसका बड़ा राजनैतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।


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