भ्रष्टाचार शिक्षा तंत्र में, हिमाचल बोर्ड के प्रतिबंध के बावजूद कांगड़ा में जारी हैं डमी दाख़िले, 10वीं में फेल छात्रों को मिल रहा अवैध 11वीं में प्रवेश

Dr. Sushma Sood, Lead Gynaecologist

SURESH THAKUR, BUREAU CHIEF
Dr. Sushma women care hospital, LOHNA PALAMPUR
Dr. Swati Katoch Sood, & Dr. Anubhav Sood, Gems of Dental Radiance
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हिमाचल बोर्ड के प्रतिबंध के बावजूद कांगड़ा में जारी हैं डमी दाख़िले, 10वीं में फेल छात्रों को मिल रहा अवैध 11वीं में प्रवेश

शिक्षा तंत्र में गहराता भ्रष्टाचार, बोर्ड से सख्त कार्रवाई की मांग

धर्मशाला: विशाल शर्मा, जिला संवाददाता

INDIA REPORTER TODAY (IRT)

हिमाचल प्रदेश बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (HPBOSE) द्वारा डमी एडमिशन पर सख्त प्रतिबंध के बावजूद जिला कांगड़ा और आसपास के इलाकों में कई निजी स्कूल शिक्षा के नियमों को धता बताते हुए डमी दाख़िले कर रहे हैं। चिंता की बात यह है कि ये स्कूल 10वीं में फेल हो चुके छात्रों को भी अवैध रूप से 11वीं कक्षा में प्रवेश दे रहे हैं, जिससे न केवल शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है बल्कि नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।

डमी एडमिशन: शिक्षा या छल?

डमी एडमिशन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें छात्र को केवल कागजों पर स्कूल में दाख़िल दिखाया जाता है। वह स्कूल नहीं जाता, सिर्फ कोचिंग संस्थानों में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करता है। स्कूल ऐसे छात्रों का नाम बोर्ड को भेजकर परीक्षा दिलवाता है, लेकिन न तो नियमित पढ़ाई होती है और न ही अनुशासन।

बोर्ड के आदेशों की अनदेखी

HPBOSE ने स्पष्ट निर्देश जारी कर रखा है कि 10वीं कक्षा में असफल छात्र को 11वीं में किसी भी स्थिति में प्रवेश नहीं दिया जा सकता। इसके बावजूद कुछ निजी संस्थान लालच और मुनाफे की हवस में न केवल डमी दाख़िले कर रहे हैं, बल्कि असफल छात्रों को भी अगली कक्षा में बैठा रहे हैं। यह कानून, नैतिकता और शिक्षा – तीनों के साथ खिलवाड़ है।

शिक्षा विभाग की प्रतिक्रिया

शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हमें शिकायतें मिली हैं और विभाग द्वारा इस पर गंभीरता से कार्यवाही की जा रही है। दोषी पाए जाने वाले स्कूलों पर सख्त कार्रवाई होगी, जिसमें मान्यता रद्द करना और एफआईआर दर्ज करना भी शामिल है।”

अभिभावकों की चिंता

पालमपुर निवासी अभिभावक अशोक वर्मा ने कहा, “हम बच्चों को गुणवत्ता शिक्षा दिलवाना चाहते हैं, न कि केवल बोर्ड की परीक्षा पास कराने वाली स्कीमों में उलझाना।”

बैजनाथ की सीमा ठाकुर ने कहा, “यह एक शॉर्टकट है जो बच्चों के भविष्य के लिए बहुत खतरनाक है। इससे उनके नैतिक और शैक्षणिक विकास पर बुरा असर पड़ रहा है।”

प्रभावित छात्र बोले – “हम ठगे गए”

रोहित (बदला हुआ नाम), 10वीं में फेल हुआ था लेकिन एक निजी स्कूल ने उसे 11वीं में दाखिला दे दिया। सालभर बाद बोर्ड में उसका नाम नहीं भेजा गया। रोहित के पिता बोले, “दाखिला दिया, पैसे लिए, लेकिन अंत में हाथ कुछ नहीं आया।”

प्रिया ठाकुर (बदला हुआ नाम) को डमी आधार पर मेडिकल कोचिंग के लिए स्कूल में दाखिला दिया गया। एक साल बाद न रोल नंबर मिला, न अंकपत्र। “मैं एक साल पीछे चली गई,” वह कहती है।

अब क्या किया जाए?

सख्त निगरानी: फ्लाइंग स्क्वॉड बनाकर निजी स्कूलों की जांच हो।

डिजिटल ट्रैकिंग: छात्र उपस्थिति और प्रगति का ऑनलाइन रिकॉर्ड अनिवार्य किया जाए।

कोचिंग-संस्थान की भूमिका पर नियंत्रण: स्कूल और कोचिंग के गठजोड़ पर रोक लगे।

कानूनी कार्रवाई: नियम तोड़ने वालों पर एफआईआर और मान्यता रद्द की जाए।

यह केवल एक शिक्षा प्रणाली की विफलता नहीं, बल्कि समाज और शासन की नैतिक परीक्षा है। यदि अब भी बोर्ड और सरकार नहीं जागे, तो हिमाचल की आने वाली पीढ़ियों को हम एक खोखली, दिशा रहित और भ्रष्ट शिक्षा प्रणाली सौंपेंगे।

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